Monday 27 July 2015

कलाम, तू माँ का सच्चा सपूत.. अग्नि नाग और त्रिशूल , ये सब तेरे ही रूप ।

भारत के मिसाइल मैन और 11वे राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल पक्कीर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम साब अब हमारे बीच नही है.. उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...
जब वे 25 जुलाई 2002 को देश के राष्ट्रपति बने उस दौरान मेरे द्वारा लिखी गई एक कविता आज आपके साथ साझा कर रहा हु...
समंदर का वो किनारा..
सुबह शाम अब तुम्हे पुकारे ।
तीर्थ यात्री अब रामेश्वरम में ,
तुम्हे देखने जाते ...
तू माँ का सच्चा सपूत..
देता ज्ञान के दीप हमे ।
जगाता अंतरज्ञान हममे...
शिक्षा का तू एक अनोखा रूप ।
जहाँ बाटे थे तूने अखबार..
उन पृष्ठों पर तू छाया आज ।
विकास का सागर तुममे ,
तू भारत माँ का सच्चा सपूत ।
नहीं जाने दी वो कुर्बानी बर्बाद,
शहीदों की थी जो भारत माँ के नाम ।
मेहनत मशक्कत दिक्कते कठिनाई ...
सब तुममे और तूने कर दिखाई,
माँ के सपने को सच और देश की बढ़ाई ।
तू माँ का सच्चा सपूत..
अग्नि नाग और त्रिशूल ,
ये सब तेरे ही रूप ।
बच्चों में भरता तू ज्ञान की गंगा..
बड़ो को भी न जाने देता तू इनसे अछूता ।
तू इस देश की अनोखी शान..
कलाम, भारत माँ कर रही तुझे सलाम।
त्रिची से दिल्ली तक तेरा सफ़र..
पल पल अनोखा और अजर ।
परम्परा से हटकर करता तू काम...
जो देता देश की प्रगति की एक नई मिशाल ।
तू भारत माँ का सच्चा सपूत ..
कलाम, भारत माँ कर रही तुझे सलाम ।

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आपका 
सत्येन्द्र खरे 
9993888677