Tuesday 30 December 2014

मां की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है - 1 nov 2014


मध्यप्रदेष का स्थापना दिवस.......

मां की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेष है


मां की गोद पिता का आश्रय कहने का आषय यह है कि किसी बालक के विकास में एक मां जिस तरह बच्चे को अच्छे संस्कार देकर उसे भविष्य के लिए तैयार करती है उसी प्रकार एक पिता अपने बालक की नादानियों-गलतियों को सुधारकर उसे एक अच्छा नागरिक बनानें के लिए हमेषा तत्पर रहता है। वैसा ही आज के मध्यप्रदेष को बनानें में यहां की जनता और सरकारों ने अपने योगदान को बखूबी निभाया है। जिसके फलस्वरूप आज विकासषील मध्यप्रदेष हमारे समक्ष है। आज के विकासषील मध्यप्रदेष ने पं. रविषंकर शुक्ल से षिवराज सिंह चैहान तक एक लंबा कालखंड देखा है। स्वभाविक है कि इतने लंबे समय में कई बदलाव हुए होंगे। सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से राज्य ने विकास के कई आयामों का स्पर्ष भी किया होगा। लेकिन हृदय राज्य जनता जनार्दन के हृदय में कितनी जगह बना पाया है यह सवाल करना अभी जल्दबाजी होगा। प्रदेष के इतिहास में नजर डालें तो राज्य में ज्यादातर समय कांग्रेस की सरकारें रहीं हैं और साथ में इसी दौरान केन्द्र में कांग्रेस की केंद्र सरकार ने शासन किया है। केंद्र और राज्य में एक पार्टी की सरकार की दृष्टि से विकास को देखा व परखा जाये तो यह दुर्भाग्य ही रहा है कि मध्यप्रदेष कभी भी विकसित राज्यों की श्रेणी में नही आ सका। 1956 से ही प्रदेष के विकास को लेकर केन्द्र और राज्य सरकारों ने जो विकास की योजनाएं बनाई वे भलींभांति जमीन पर प्रदेष के 6 दषकों में सफल होने में पूरी तरह नाकामयाब रही। इसका दुश्परिणाम यह हुआ कि देष का तत्कालीन सबसे बड़ा राज्य नाममात्र के लिए बड़ा बनकर रह गया। 
सन् 2000 के पूर्व अविघटित मध्यप्रदेष में संसाधनों के अथाह भण्डार थे, तब कांग्रेस ने राज्य के विकास की चिंता नहीं की, अपितु मध्यप्रदेष विघटन के साथ कांग्रेस की दिग्गी सरकार जो विघटन के लिए पूरी तरह जिम्मेदार थी उसने राजनैतिक माहौल तैयार कर प्रदेष की जनता से झूठी बयानबाजी की थी कि कांगे्रस कम संसाधनों के साथ भी पूरी तरह विकास करनें में सक्षम है। मध्यप्रदेष विघटन के समय दिग्गी-जोगी के बीच हुई सत्ता स्थानांतरण की छिछालेदर को जनता ने 2003 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की विदाई के साथ समाप्त किया। 2000 में तीन नये राज्यों का गठन किया गया, उत्तरांचल, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड। तीनों नये राज्यों में अपने मूल राज्य से ज्यादा विकास की क्षमताएं थी, लेकिन मूल राज्यों मध्यप्रदेष, उत्तरप्रदेष और बिहार के विकास की बात करें तो मध्यप्रदेष ने ही विकास को संभव बनाया है और इसका श्रेय 2003 में गठित हुई भारतीय जनता पार्टी की प्रदेष सरकार को दिया जाये तो यह अनुचित नहीं होगा। 
मध्यप्रदेष राज्य 2003 के मध्यप्रदेष की तुलना में काफी आगे आ चुका है। बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ प्रषासनिक अक्षमताओं से जूझ रहे प्रदेष को बाहर निकालने में षिवराज सरकार का महत्वपूर्ण योगदान है, 2003 से अब तक प्रदेष में भाजपा की सरकार है और केन्द्र में 2004 से मई 2014 तक यूपीए की सरकार रही है। ऐसी विषम परिस्थितियों में प्रदेष ने -4 प्रतिषत से लेकर 11.08 प्रतिषत आर्थिक विकास दर का सफर तय किया है, जो कि इस समय देष में सर्वाधिक है। ऐसा नहीं है कि मात्र आंकड़ों के आधार पर हम राज्य को विकसित राज्य घोषित कर दे। आज भी कई क्षेत्रों में विकास की आवष्यकताएं जस-की-तस बनी हुई है। रोजगार, उद्योग, जैसे कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें अब क्रांतिकारी बदलाव की जरूरत आन पड़ी है। खेती में भले प्रदेष 24.99 प्रतिषत की विकास दर हासिल कर नंबर 1 राज्य बन गया हो, परंतु कुपोषण जैसी समस्याओं से लड़ने के लिए षिवराज सरकार को भागीरथी प्रयास की जरूरत होगी। उद्योगों के परिप्रेक्ष्य में प्रदेष के पास कोई बड़ी उपलब्धि तो नहीं है, परन्तु प्रदेष सरकार निवेष के माध्यम से इस क्षेत्र में विकास करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रही है। इंदौर, ग्वालियर जैसे महानगरों में बंद पड़ी कपड़ा मिलों को दोबारा शुरू करने पर ध्यान देने की आवष्यकता है, जिससे इन क्षेत्रों में रोजगार की समस्या को दूर किया जा सके। आधुनिक समय में प्रदेष को आईटी हब बनाना षिवराज सरकार की एक नेक शुरूआत है। मेक इन एमपी जैसे कार्यक्रम प्रारंभ कर सरकार मेक इन इंडिया की सफलता में अपना योगदान एक जिम्मेदार एवं जबावदेह राज्य के रूप में दे सकती है। प्रदेष के औद्योगिक विकास की बात की जाये तो यहां एक बात बताना बेहद जरूरी है कि एषिया की एकमात्र हीरा खनन परियोजना प्रदेष के पन्ना जिले में है, और वह अपनी बदहाली के दिनों को बखूबी महसूस कर रही है। हीरा खनन परियोजना को दोबारा सुचारू रूप से प्रारंभ करने के लिए षिवराज सरकार को केंद्र के समक्ष अपनी तत्परता के साथ प्रभावकारी एवं परिणामकारी भूमिका को जल्द से जल्द से सुनिष्चित करना चाहिए। क्योंकि ऐसी परियोजनाएं बंद होने पर बेरोजगार व्यक्तियों का एक बड़ा वर्ग इस क्षेत्र में पैदा हो जायेगा। हीरे जैसी अमूल्य धरोहर रखने वाला यह क्षेत्र विकास के लिए आज भी तरस रहा है। हाल ही में संपन्न हुई इंदौर इन्वेस्टर्स समिट से सरकार ने राज्य में 6 लाख करोड़ रू. के निवेष का दावा पेष किया है। इस अच्छे प्रयास में हमें यह बात नहीं भूलना चाहिए कि जिन क्षेत्रों में विकास की दरकार अब भी है। जैसे बुंदेलखण्ड अंचल, आदिवासी अंचल इत्यादि। यहां सरकार उद्योग एवं कौषल विकास केंद्र खोलकर राज्य के इस क्षेत्र के पिछड़े जिलों डिंडौरी, अनूपपुर, मंडला, झाबुआ, अलीराजपुर, बैतूल, पन्ना, टीकमगढ़ के बेरोजगार युवकों की रोजगार की समस्या को हल करनें का काम जिम्मेदारीपूर्वक सुनिष्चित करे।
पर्यटन की दृष्टि से मध्यप्रदेष तेजी से उभरता हुआ प्रदेष साबित हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में राज्य ने अपने पर्यटन स्थलों को विष्व पटल पर पहुंचाया है। राज्य में ऐसे कई और क्षेत्र भी है जहां कि पारंपरिक जीवन शैली, ऐतिहासिक धरोहरें, मेले, उत्सव है, जिन्हें हम आगे लायें तो इस क्षेत्र में भी हम सफलता के नये आयाम स्थापित कर सकेंगे। बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाकों को भी पर्यटन के माध्यम से विकसित किया जा सकता है। पन्ना और टीकमगढ़ जिले राज्य के पर्यटन विकास में सहायक बन सकते है। जैन तीर्थदर्षन की दृष्टि से टीकमगढ़ और पन्ना टाईगर रिजर्व के साथ जिले के भव्य मंदिरों, प्राकृतिक संुदरता को देष के पर्यटन मानचित्र पर लाकर पन्ना जिले के विकास और राज्य पर्यटन विकास को भी गति दी जा सकेगी। इसके साथ ही छिंदवाड़ा, होषंगाबाद जैसे जिले भी प्राकृतिक एवं आदिवासी परंपराओं से पर्यटन विकास के लिए अपना एक अलग स्थान रखते है। गुजरात ने जिस तर्ज पर पर्यटन विकास किया है, वह भले ही गुजरात राज्य का कोई मेला, मंदिर, उत्सव, पारंपरिक आयोजन हों उसी तर्ज पर प्रदेष के समस्त छोटे से छोटे उत्सव, मेले, मंदिरों को पर्यटन विकास के माध्यम से आगे लाकर स्वर्णिम मध्यप्रदेष बनानें की परिकल्पना को साकार करनें में मदद मिल सकती है। 
प्रदेष की खेती-किसानी अपने स्वर्णिम युग को देख रही है, दो बार मिले कृषि-कर्मण पुरस्कार, देष में सर्वाधिक कृषि विकास दर ने प्रदेष के किसानों के हौंसले बुलंद कर दिये है। लगातार बढ़ रहे सिंचाई के रकबे को 26 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा दिया गया है। नदी जोड़ो अभियान से सिंचाई हेतु नहरें बनाकर सरकार ने अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किये है। प्रदेष के किसानों को जीरों प्रतिषत ब्याज पर मिल रहे कर्ज के हौंसले एवं उत्साह ने मध्यप्रदेष को कृषि क्षेत्र में हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों से भी आगे पहुंचा दिया है। इतना ही नहीं अगर मूलभूत सुविधाओं जैसे-बिजली, सड़क और पानी पर षिवराज सरकार ने संवेदनषीलता के साथ विकास कार्य नहीं किये होते तो राज्य में भारतीय जनता पार्टी की तीसरी बार सरकार का गठन होना नामुमकिन था। प्रदेष के षिक्षा स्तर को सुधारने में षिवराज सरकार ने अब तक जो प्रयास जमीनी स्तर पर किये है उससे एक मजबूत षिक्षा प्रणाली का आधार सुनिष्चित हो गया है। इस दिषा में मुफ्त षिक्षा, साईकिल वितरण, गणवेष, मध्यान्ह भोजन, पाठय-पुस्तकें और षिक्षा ऋण गारंटी जैसी योजनाओं को देकर राज्य के छात्र-छात्राओं को आगे निकलनें में सहायता प्रदान की है। परन्तु उच्च षिक्षा हेतु हमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व जबलपुर जैसे महानगरों से बाहर निकलकर छोटे-छोटे जिलों में बड़े बदलाव करनें की आवष्यकता है। राज्य के छात्रों को रोजगार आसानी से प्राप्त हो सके, इसके लिए अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में सरकारी प्लेसमेंट की नीति पर ध्यान देने की जरूरत है। 
मध्यप्रदेष में विकास के जो बड़े बदलाव देखे जा रहे है उसमें स्वास्थ्य सेवाओं का भी बदलता स्वरूप एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कुपोशण जैसी समस्याओं से निपटने के लिए प्रदेष सरकार भले ही जमीनी स्तर पर काम कर रही हो, लेकिन कहीं न कहीं सरदार वल्लभभाई निःषुल्क दवा वितरण योजना, दीनदयाल उपचार योजना, जननी सुरक्षा योजना, 108 सेवा जैसी योजनाओं ने प्रदेष की जनता को मिल रहे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है। दो दिन पूर्व प्रारंभ हुई राज्य स्वास्थ्य सेवा गारंटी योजना द्वारा प्रदेष भर में 17 स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी सरकार के द्वारा ली जा रही है। प्रदेष में प्रांरभ हो चुके अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एम्स) के साथ-साथ और भी कई बड़े चिकित्सा संस्थान प्रदेष के चिकित्सा विकास में अपना योगदान सुनिष्चित कर रहे है। ये संस्थान और प्रदेष सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं भलीं-भांति जमीनी स्तर पर सुचारू रूप से फलीभूत हो जायें तो प्रदेष स्वास्थ्य सेवाओं में भी अग्रणी राज्य बनने में सफल हो जायेगा। 
मध्यप्रदेष इस वर्ष अपना 59वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। राज्य के उज्जैन, ग्वालियर, भोपाल, मांडू, पचमढ़ी, खजुराहो, चित्रकूट, सांची जैसे पर्यटन स्थलों को देखकर हमें अहसास होना चाहिए कि हम देष के एक पारंपरिक तौर पर विकसित राज्य के वासी है। बुंदेलखंड, बघेलखंड, मालवा-निमाड़, महाकौषल में फैली कई रियासतों के गौरवषाली इतिहास को पढ़कर यह समझना चाहिए कि यह हृदय प्रदेष कितने बलिदानों और त्याग के बल पर बना है, इसे बेहद संवेदनषीलता के साथ समझने की आवष्कता है। प्रदेष में फैले देष के सर्वाधिक जंगल क्षेत्र, पेंच, पन्ना, बांधवगढ़, कान्हा जैसे टाईगर रिजर्व ने हमें प्रदेष के जंगलों में विचरण करते वन्य प्राणियों के साथ रहनें का अवसर प्रदान किया है, हमनें जंगलों को सुरक्षित करनें के प्रयासों में सरकार के साथ सहभागी बनने की जरूरत है। देष के सर्वाधिक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी प्रदेष के पास है, यहां रह रहे हमारे आदिवासी भाईयों-बहनों को विकास की मुख्यधारा में लाने में हम कितने सहायक हो सकते है यह एक सोचने का विषय है। सरकारें अपने प्रयास करती रहती है, राज्य और राष्ट्र के विकास में हमें भी अपनी जिम्मेदारियों को परिलक्षित करना चाहिए। स्वर्णिम मध्यप्रदेष की परिकल्पना को साकार करनें में सरकार के साथ हृदय प्रदेष के वासी शामिल हो जायें तो देष का सर्वाधिक विकसित राज्य बनने में मध्यप्रदेष को ज्यादा समय नहीं लगेगा। 

भोपाल गैस त्रासदी के 30 बरस- 3dec 214

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सरकार और समाज दोनों ने शिक्षको के महत्त्व को कभी नही समझा 5 sep 2014

सरकार और समाज दोनों ने शिक्षको के महत्त्व को कभी नही समझा

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अंतररास्ट्रीय महिला दिवस : एक कटाक्ष -9 march 2014

9march

कल समूचे विश्व में महिला दिवस मनाया गया , स्वाभाविक है की भारत भी इससे अछुता नही रहा , लेकिन महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर हम कितने संवेदनशील है वो महिला दिवस के दिन दिल्ली ने सारे देश को बता दिया , पिछले 48 घंटो  में10 रेप की घटनाये तो  देश की राजधानी में ही हो गई , अब आप ही खुद से पूछे की  देश किस खुशी में महिला दिवस मनाये ...????
कल सुबह से ही सारा माहौल महिलामय हो गया था , अखबार, विभिन्न समाचार चैनल , सोशल मीडिया और इससे परे आधुनिक समाज का नियमित हिस्सा बनता जा रहा फेसबुक सभी जगह महिला दिवस की शुभकामनाये अटी पड़ी थी... हर कोई इस मसले पर आगे आना चाहता है ... लेकिन साल में एक ही दिन ऐसा क्यूँ  ???? बाकि 364 दिन महिलाओं के प्रति हमारे व्यवहार में कुछ और ही रंग देखने क मिलता है,  हमारे सभ्य समाज में महिलाओं की स्थिति दयनीय है , महिलाओं के साथ घरेलु हिंसा, दहेज़ के लिए प्रतारणा , बच्चियों के लिए शिक्षा को लेकर  नकारात्मक रवैयाँ ये सब अतुल्य  भारत का ही हिस्सा है और अब तो प्रतिदिन बढ रही कन्या  भ्रूण हत्या से लेकर महिलाओं के रेप तक सब कुछ सामान्य घटनाये लगने लगी है , लेकिन ऐसा नही है की ये सब हम देखते नही है या समझते नही है ...कभी कभार हम जागरूक होकर इसका विरोध भी कर लेते है और कुछ समय पश्चात वहीढाक के तीन पात !!!!!!
मै इस लेख को आगे बढ़ाना चाह रहा हु लेकिन कुछ टीस कल से ही चुभ रही है वो ये की राष्ट्रपति भवन से दिल्ली गैंग पीड़ित लड़की को मरणोपरांत पुरुस्कार की घोषणा की गयी.. यही नही समूचे विश्व के रहनुमा अमेरिका ने भी उसकी बहादुरी सराही है ... मै इस बात से सहमत नही हु ... अरे किस बात की बहादुरी भाई ... अगर इन संवेधानिक ताकतों को कुछ देना था तो वो जल्द से जल्द न्याय ...जो अब तक तर्कसंगत बना हुआ है ... जब दिसम्बर जनवरी मे सारा देश लड़की के लिए दुआ और कठोर कानून की मांग कर इनके सामने गिडगिडा रहा था तब  तो रायसीना हिल के द्वार तक नही खुले...  लेकिन महिला दिवस के दिन ये राजनितिक  दल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर ऐसा प्रचार कर रहे है जैसे महिलाओं की चिंता सबसे ज्यादा इन्हें ही हो ...ये पार्टियाँ ये नेता एक दिन मना कर , ढेरो वादे कर इतना तृप्त हो जाते है और साल भर उसका व्याज जनता से खाते रहते है...
माना की महिलाओं की स्थिति शहर मे बेहतर है , लेकिन गावों को लेकर आज भी सवालिया निशान हम सब पर है ... और इसके जिम्मेदार भी हम खुद है ...  गाँव मे महिला शिक्षा को लेकर हम कोई  परिवर्तन नही ला पा रहे है ... तमाम परियोजनाओं और लुभावने वादे भी इस दिशा मे फीके पड़ रहे है वजह है लोगो की मानसिकता .. और उसे बदलने के लिए पंचायत स्तर और जनपद स्तर पर हर ६ महीने मे गाँव के लोगो को महिलाओं की  महत्वता समझाना , उन्हें समाज मे बराबर की हिस्सेदारी समझना ..ग्रामीण स्तर पर उन्हें कई मसलो मे उचित पद दिलाना ...  इस दिशा मे सरकार की मदद कई एन जी ऒ कर सकते है ... लेकि ऐसा हो पाना सरकारी भ्रष्ट तंत्र के अन्दर दूर की कौड़ी साबित दिखाई पड़ता है.....
ग्रामीण परिवेश में एक समस्या और भी है जो सर्व विदित है और वो महिला की आबरू एवं उससे जुड़े परिवार की इज्ज़त ... मै बात कर रहा हु ग्रामीण क्षेत्र मे बढ रही महिलाओं  के साथ छेड़छाड़, रेप की घटनाये और उसके बाद इनकी हत्या से ... बात बिलकुल साफ़ है  शिक्षा की कमी , गरीबी , परिवार की   इज्ज़त का सवाल, पुलिस का भय और कई मामलो में सामंतवादी परिस्थिति के कारण ये मामले सामने नही आ पाते और धीरे धीरे यही स्थिति भयावह हो जाती है .. "घटना का विरोध न करना घटनाओ के बढने का कारण बनता  है"  .. यहाँ फिर से जागरूकता वाली बात आती है ... शिक्षा के लिए सरकार तमाम योजनाये चला रही है वहां इन्हें खुद से आगे  बढ़ना होगा ...  रही बात दवाब और पुलिस के भय की तो सरकार और नेताओ को चाहिए की हर गाँव में महिलाओं को इन मसलो के लिए एक हेल्पलाइन नंबर इन्हें देना चाहिए ..जिस तरह शहरो में देते है ... और इस पर निगरानी के लिए की ये सही काम कर रहे या नही जिला प्रशाशन और राज्य गृह मंत्रालय को सीधे दखल देना पड़ेगा .... मामला गंभीर है या गाँव में किसी सामंतवादी स्थिति से जुड़ा है तो परिवार की सुरक्षा और फ़ास्ट ट्रैक न्यायालय जरुरी करने होंगे ... और जब तक फैसला न हो जाये महिला और परिवार की सुरक्षा राज्य सरकार को करनी होगी ... तब जाकर स्थिति सामान्य होगी...  अगर सरकार और राजनीतिक दल  वाकई कुछ बदलाव चाहते है तो कठोर कदम आज से ही उठाने होंगे नही तो महिला दिवस तो है ही ये सब ढोंग करने के लिए ....
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गाँव तक ही समस्यां नही है.. शहर में परिस्थिति और भी बदतर है यहाँ समस्याओं को ..आधुनिक काल की जरूरते कही जाने वाली टेक्नोलॉजी और भी बढ़ारही है .. टेक्नोलॉजी कहने को तो हमारी मदद करती है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या के मामले इस टेक्नोलॉजी की कलई खोलते है.... छोटे से छोटे शहर से लेकर महानगर और राजधानी तक भ्रूण के लिंग का पता करना और कन्या होने पर उसकी हत्या करना एक व्यवसाय बन गया है ... क्या हम और हमारी सरकार इतनी नकारी हो गई है की इस  जघन्य अपराध के लिए चल रहे मेडिकल सेण्टर भी हम बंद नही करा सकते... हम सालो-साल लिंगानुपात की बात करते है उस पर चिंता व्यक्त करते है अभी २०११ की  जनगणना में हम ९४०/१००० पहुचे है अगर ऐसा ही चलता रहा तो आप खुद अंदाजा  लगाइए की क्या होगा ... हरियाणा और हमारे प्रदेश में भिंड की क्या स्थिति है ये किसी से छुपी  नही है ....यहाँ महिलाओं की कमी के चलते  कितने नौजवानों की शादियाँ नही हो प् रही और ये ही फिर रेप जैसे अपराधो की तरफ अग्रसर होते है.... सरकार और प्रशासन को बिना किसी राजनितिक दखलंदाजी के चलते ये सेण्टर बंद करा कर लोगो को जागरूक करने की जरुरत है ... रेप जैसी घटनाओं को रोकने के लिए स्कूल शिक्षा स्तर पर सेक्सुअल नॉलेज जैसे विषय पढ़ाने अनिवार्य करने चाहिए .. स्कूल शिक्षा स्तर पर ऐसे विषय पढाये जाने से न केवल आने वाली नस्लों का दिमाग खुलेगा बल्कि यही ज्ञान रेप जैसे मामलो में कमी भी लायेगा ...  और दिल्ली जैसे महानगरो में बढ रहे मामलो को लेकर ऐसी मुहीम पर हमे इसी वर्ष से काम करने की जरुरत है ...
अब बात करते है सरकारी योजनाओं की जो महिला की सुरक्षा , शिक्षा और सम्मान को लेकर बनायीं गयी है वो कितनी ज़मीन में है और कितनी पानी में ... सरकारे इस विषय पर कितनी संवेदनशील है वो का औसतन प्रदर्शन खुद अपनी दास्ताँ उजागर करता है...महिला सशक्तिकरण , जननी सुरक्षा , बेटी बचाओ , लाडली लक्ष्मी योजना एवं अन्य योजनाये सरकारों के वादों का बखान तो खूब करती  है लेकिन ज़मीन पर इन वादों को धता बताती है... बेटी बचाओ योजना मध्यप्रदेश की एक बेशकीमती योजना है जो प्रदेश में बच्चियों के मामा एवं मुखिया शिवराज ने लागु की थी लेकिन महिला दिवस के दिन जब बीते कुछ सालो में ४०००० लड़कियों  के गायब होने की घटना पर एन.एच.आर.सी. (National Human Rights Commission) विभाग  ने राज्य सरकार को फटकारा तो सच्चाई खुद ब खुद उजागर हो गई ... कितने शर्म की बात है कि जहाँ आज महिलाओं के सम्मान को लेकर विश्व में आवाज़े बुलंद हो रही है वही हमे ये आकडे जिल्लत भरी निगाहों से देख रहे है .... महिला सशक्तिकरण की सच्चाई ये है कि जब जब मामला महिला आरक्षण कि बात संसद में उठती है तो राजनितिक दल एक दुसरे के कुर्ते फाड़ने में लग जाते है ... अगर ये दल महिलाओं के सुरक्षा और सम्मान को लेकर  इतने ही गंभीर है तो एक मत क्यूँ  नही होते ..... अब जहाँ तक जननी सुरक्षा को लेकर बात है तो गाँव में दाई माँ और आशा कार्यकर्ताओं कि व्यवस्था हर गाँव में सरकार ने कि है और एक कॉल सेण्टर जिला में बनाया है जरुरत पड़ने पर एक विशेष नंबर पर कॉल कर मदद ली जा सकती है और   प्रसूति के समय इन्हें जिला अस्पताल तक पहुचाया जाये ... यह  एक अच्छी योजना है और इस पर सरकारे प्रसाशन अच्छा कार्य कर रही है .... इनके अलावा नारी सम्मान और सुरक्षा  को लेकर इस वर्ष के बजट में 1000 करोड़ रुपये " निर्भया फण्ड " को लेकर जारी किये गए है बस चिंता इस बात को लेकर है की इनका क्रियान्वयन सही तरह से हो जाये बस ?????  इस वर्ष बजट में महिला  बैंक की घोषणा भी की है जो नवम्बर से चालू होगा ... ये अच्छा कदम है लेकिन बेहतर होता की एक महिला न्यायलय की घोषणा भी होती जहाँ महिलाओं के शोषण को लेकर हुए मामले में जल्दी और उचित न्याय मिलता ...

महिला दिवस पर और भी कई बाते सरकार द्वारा सामने आई ... इनकी समाज में स्तिथि सुधारने के लिए भविष्य में कई और योजनाए आएगी कई और फण्ड भी फण्ड जारी होंगे ... लेकिन जहाँ विश्व में महिलाओं का वर्चस्व निरंतर बढता जा रहा है वही हमारे देश कि ये बढ़त आंशिक है .... और  मेरी कल्पना से परे है कि जहाँ इतनी सुविधाए सरकार देती है ,जहाँ देश जागरूक हो रहा है वही इन्हें लेकर  शोषण के मामले क्यूँ नही थम रहे .... ये सवाल है आप पर ,हम पर ...न्याय पालिका और  हमारी संसद पर .....????? 

भारत की बिटियाँ हु मै .... sep2014

भारत की बिटियाँ हु मै ....




भारत की बिटियाँ हू मै ....
अम्मा की दुलारी, बाबुल की प्यारी,
दादी-नानी की परियों की कहानी हु मै !!!
गंगा सी पवित्र और दुर्गा की ताकत ,
ऐसी... आसमा में फैली असीम चांदनी हू मै !!!
भारत की बिटियाँ हू मै ....

आँगन की माटी, और चबूतरे मे उतरी रंगोली,
ऐसे फूलो से सजी क्यारी हू मै !!!!
नन्हे नन्हे कदमो से घर-घर चह-चहाती ,
अटारी का उजियारा और चौके में माँ का सहारा हू मै !!!
भारत की बिटियाँ हू मै ....

हिमालय की गोद मै बलखाती,
ऐसे मासूम संस्कारो की धानी हू मै !!!
तितली बन-बन धरा पर रंग बिखेरती,
ऐसी गंगा-जमुना की धारा हू मै !!!
भारत की बिटियाँ हू मै....


खेतो मै लहलहाती फसलो का कारण बनती,
शस्य श्यामलम मातरम हू मै !!!
गुरूद्वारे की अरदास , मस्जिदों की अजान,
और मंदिरों की आरती हू मै !!!
नव जीवन तलाशती इक किरण हु मै...
भारत की लड़की हू मै !!!

सूरज का तेज , सिन्धु का वेग,
अरावली,दक्कन,विन्ध्याचल हू मै !!!
कृष्णा-कावेरी के धाराओं की छम-छम,
ऐसे आर्यावर्त की पहचान हू मै !!!
नव जीवन तलाशती इक किरण हु मै...
भारत की लड़की हू मै !!!

गोकुल की गोपिका तो, कुरुक्षेत्र की पांचाली  मै ,
गिरधर की मीरा भी मै.. ऐसे राम की शबरी हू मै !!!
झाँसी की मनु कहीं तो.. कही दुर्गा भाभी हू मै ,
इंदिरा की हुंकार तो.. लता-आशा की सुरताल हू मै !!!
नव जीवन तलाशती इक किरण हु मै...
भारत की लड़की हू मै !!!


देहरी की लाज और घर की लक्ष्मी हू मै,
माथे की बिंदिया तो पैरो की बिछिया भी मै  !!!
हल्दी-रोली की बंधन मै बंधी हर पल,
ऐसी माँ के ममता की इन्द्रधनुषीय छठा हू मै !!!
भारतीय नारी हू मै....

मै होली मै ही दिवाली,
ईद की ईदी और लोहड़ी की रात हू मै !!!
सरहद पर बैठे युवको का साहस बढाती,  
ऐसे हर कलाई पर बंधी राखी हू मै !!!
भारतीय नारी हू मै....

वेदों का ज्ञान ,कुरआन का इल्म,
ऐसे गुरु ग्रन्थ साहिब का सम्मान हू मै !!!
महान संस्कृति का सदा निर्माण करती आती,
भारत भाग्य विधाता हू मै !!!

ऐसी भारतीय नारी हू मै....