Tuesday 7 February 2017

जनवरी 2017 घटनाक्रम और बजट 2017-18 (मोदी सरकार के पिछले वर्षो से तुलनात्मक) , आर्थिक समीक्षा, राष्ट्रपति का अभिभाषण (फरवरी 2017 के रोजगार और निर्माण के पहले सप्ताह में प्रकाशित )








सफलता के नए शिखर पर मध्यप्रदेश - घटनाक्रम 2016 (9 जनवरी से 15 जनवरी के रोजगार और निर्माण में प्रकाशित ) )








ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भारतीय रेल का सफर- आम बजट के साथ पेश होगा अब रेल बजट

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भारतीय रेल का सफर
आम बजट के साथ पेश होगा अब रेल बजट

 7-10-2016 (रोजगार और निर्माण में प्रकाशित )

    देश की जीवन रेखा कही जाने वाली भारतीय रेल अपने ऐसे दौर से गुजर रही है जब उसे आधुनिकता और तकनीक की बेहद आवश्यकता आन पड़ी है l देश के 13 लाख 50 हज़ार से ज्यादा लोगो को रोजगार उपलब्ध कराने वाले देश के सबसे बड़े सार्वजनिक उपक्रम के लिए पिछले कुछ वर्षो में  यह आवाज आम हुई है कि दुनिया के बड़े रेल नेटवर्क में से एक भारतीय रेल नेटवर्क को और मजबूत एवं सुगम बनाया जाए l विश्व की तेज चलने वाली रेल गाड़ियो जैसी रेल गाड़ी भी भारतीय रेल पटरियों पर दौड़ सके इसके लिए रेलवे अधोसंरचना को नई दिशा दी जाए l भारत सरकार ने ऐसे सवालो का जवाब देने के लिए पिछले कुछ एक वर्षो में प्रभावी निर्णय भी लिए है, दिल्ली-आगरा रेल लाइन पर 150 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से ट्रेन चलाई जा सके इसके कई ट्राइल किए गए, टेलगो ट्रेन के 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाले परीक्षण (दिल्ली-मुंबई, बरेली-मुरादाबाद, पलवल से मथुरा रेल लाइन) पिछले कुछ महीनो से किए जा रहे है और इसमें हम सफल भी हुए है l भारतीय रेल नेटवर्क, अधोसंरचना विकास और रेल कोच को आधुनिक बनाने की दिशा में भी सरकार द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए है l पूर्व की सरकारो द्वारा 10 साल में 1500 किमी रेल लाइन कमीस्निंग करने की तुलना में पिछले दो वर्षो में 3500 किमी की रेल लाइन कमीस्निंग पूरी की गई है l पहले रेल प्रोजेक्ट, ओवर एंड अंडर ब्रिज की मंजूरी मिलने में दो-दो साल लगते थे। आज प्रोजेक्‍ट को मंजूरी देने में ज्‍यादा से ज्यादा छ: महीने का समय लिया जा रहा है l वर्तमान सरकार काम को गति देने के लिए प्रयत्नशील है l
बात रेल बजट की करे तो भारत 2015-16 तक के रेलवे बजट को अलग से प्रस्तुत करने वाला पहला ऐसा देश रहा है जहां परिवहन क्षेत्र के लिए पृथक बजट प्रस्तुत करने का प्रावधान रहा है परंतु अब यह प्रक्रिया जल्द ही भारतीय बजटीय प्रणाली से समाप्त हो जाएगी l अभी हाल ही में भारत सरकार को  नीति आयोग द्वारा रेल बजट को भी आम बजट में  विलय कर प्रस्तुत करने की सलाह दी गयी थी जिसमें  ये दावा किया गया कि आम बजट में रेल बजट के विलयनिकरण हो जाने से भारतीय रेल्वे को ज्यादा फायदा होने की संभावनाए है l भारत सरकार ने यह सलाह मानते हुए अगले वर्ष से आम बजट में ही रेलवे बजट और इसकी सिफ़ारिशों को पेश करने का निर्णय लिया है l
              सरकार द्वारा आम बजट में रेल बजट को सम्मिलित किए जाने के बाद होने वाले मुनाफे को जानने से पहले हमें  रेल बजट को समझना जरूरी होगा l रेल बजट से अभिप्राय यहाँ रेलवे द्वारा एक वित्तीय वर्ष के अंतराल में अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का आकलन करना है l भारतीय रेलवे के विकास योजनाओं से जुड़ा यह एक नीतिगत दस्तावेज़ है जो कि 1924 से सदन के पटल पर आम बजट से पृथक रखा जाता रहा है l लगभग 92 वर्ष पहले 1924 में रेल बजट को अलग से पारित करने की  अनुशंसा 10 सदस्यों वाली मिशेल एक्वोर्थ समिति ने की थी l तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने ये माना कि भारतीय रेल के प्रबंधन में  सुधार की आवश्यकता अधिक है इसलिए सरकार ने 1921 में रेलवे के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार के लिए एक समिति का गठन किया जिसके अध्यक्ष अर्थशास्त्री विलियम मिशेल एक्वोर्थ को बनाया गया और उन्ही की अनुशंसा पर पृथक रेल बजट पारित करने का प्रावधान साल 1924 में बना l यहाँ एक बात और भी जानना जरूरी है कि 1859 के पूर्व ब्रिटिश शासन के आधीन बजट का उल्लेख कही भी नहीं मिलता है, साल 1859 में ही तत्कालीन वायसराय लॉर्ड केनिंग ने जेम्स विल्सन को अपनी कार्यकारिणी में  बतौर वित्तीय सदस्य नियुक्त किया और इन्ही जेम्स विल्सन की सलाह पर 18 फरवरी 1860 को पहली बार आम बजट वायसराय केनिंग की परिषद में रखा गया, जिसमें रेल विभाग का भी लेखा जोखा था l ये वही जेम्स विल्सन थे जिन्हे आज हम भारतीय बजट के जन्मदाता के नाम से जानते है l
              वर्ष 1860 से 1923 तक रेल बजट आम बजट के साथ ही पेश किया जाता रहा है, 1924 में पहली बार यह पृथक तौर पर पेश किया गया तो इस रेल बजट की भागीदारी आम बजट की कुल 70 फीसदी रही और यही 70 प्रतिशत की बड़ी भागीदारी मुख्य वजह बनी विलियम एक्वोर्थ के प्रस्ताव को स्वीकार करने की l यहाँ हम वर्तमान रेल बजट की बात करे तो आज़ादी के बाद भारतीय संविधान में रेल बजट जैसे शब्द का उल्लेख कहीं नहीं है, लेकिन इसे हम संविधान के अनुच्छेद 112 और 204 के अंतर्गत लोकसभा में पेश करते है l देश के पहले रेल मंत्री जॉन मथाई ने नवंबर 1947 में पहला रेल बजट पेश किया था l  यह रेल बजट लोकसभा में धन विधेयक के रूप में पेश किया जाता रहा है, रेल बजट को आम बजट से कुछ दिन पूर्व (आम तौर पर 2 से 3 दिन पूर्व ) पेश किया जाता है जिसमें पिछले वित्त वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण भी होता है l 17 ज़ोन में विभक्त हमारी रेल नेटवर्क का बजट अब आम बजट का 14-15 प्रतिशत तक रह गया है, और लगातार रेल बजट का आम बजट के प्रति कम होना ही मुख्य कारण है कि सरकार ने अब रेल बजट को आम बजट में सम्मिलित करने की सहमति जताई है l
              वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रेल बजट को आम बजट के साथ पेश करने की सलाह नीति आयोग के सदस्य अर्थशास्त्री विवेक देबराय ने रेलवे की एक रिपोर्ट तैयार करने के दौरान भारत सरकार को दी l देबराय समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारतीय रेल कई वर्षो से लगातार घाटे में चल रही है और रेल बजट भी आम बजट का महज 15 फीसदी रह गया है, ऐसे में पृथक रेल बजट पेश कर रेलवे को कोई खासा फायदा नहीं हो रहा है l रेलवे को फायदे में लाने हेतु केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने नीति आयोग की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए वित्त मंत्री अरुण जेठली को जून में एक पत्र लिखकर अनुरोध किया कि रेल बजट को आम बजट में विलय कर लिया जाए l इसके बाद केंद्र सरकार ने एक संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जिसने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत कर रेल बजट को आम बजट में विलय करने कि सिफ़ारिश की l संयुक्त संसदीय समिति की इस रिपोर्ट को अब केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी भी मिल गई है, परिणामस्वरूप अगले वर्ष 2017 से रेल बजट को आम बजट में  ही विलय कर प्रस्तुत किया जाएगा और 1924 से प्रस्तुत किए जा रहे पृथक रेल बजट की समाप्ती हो जाएगी l वैसे पृथक रेल बजट प्रस्तुत करने के भी अपने फायदे थे जैसे रेलवे से जुड़ी छोटी जानकारियाँ भी इसमें  सम्मलित रहती थी l प्रायः यह देखने को मिलता था कि बजट के दौरान किस क्षेत्र विशेष को ज्यादा लाभ मिल रहा है और किसे कम l वर्ष भर बाद जब रेल बजट संसद में पेश किया जाता था तो जनता द्वारा भी यह दवाब रहता था कि उनके क्षेत्र को ज्यादा से ज्यादा रेलगाडियाँ मुहैया कराई जाए जो अब आम बजट के साथ देखने को नहीं मिलेगा l
              केंद्र सरकार भी मान रही है कि रेल बजट का आम बजट में विलय हो जाने के बाद रेलवे को पहले कि अपेक्षा  ज्यादा फायदा होगा और इससे रेलवे का आर्थिक पक्ष भी मजबूत होगा l रेलवे को लाभांश के रूप में मिलने वाले करीब 10 हज़ार करोड़ रुपये विलय के बाद भारत सरकार को अब नहीं चुकाने होंगे l लेकिन समस्याएँ महज इतना कर देने से खत्म हो जाएगी ऐसा निकट भविष्य में दिखाई नहीं देता क्यूंकि भारतीय रेल को घाटे से उबारने के लिए सरकार को अपने प्रयासो में और तेजी भी लानी होगी l पूर्व की सरकारो ने रेल को घाटे से निकालने के लिए कई प्रयास किए लेकिन आपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासो से समूचे रेलवे महकमे में एक उम्मीद की किरण तो जागी है l
              आज भारतीय रेल 32 हज़ार करोड़ से ज्यादा का नुकसान उठा रही है l सातवाँ वेतनमान लागू हो जाने से लगभग 40 हज़ार करोड़ का अतिरिक्त भार रेलवे को आने वाले समय में उठाना पड़ेगा l सरकार 33 हज़ार करोड़ रुपये की राशि सब्सिडी के आधार पर यात्रियों को देती है l देश भर में चल रही विभिन्न रेल परियोजनाओं पर 1.86 लाख करोड़ से ज्यादा का भार सरकार फिलहाल उठा रही है l 458 परियोजनाएं फिलहाल लंबित है, जिनके लिए 4 लाख 83 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा की आवश्यकता है l वर्षो से ठप्प पड़ी रेल परियोजनाओं पर भी लागत बढ्ने से सरकार पर 1.07 लाख करोड़ का भार सरकार पर आ गया है और ऐसे में  रेलवे को महज 34 हज़ार करोड़ की आय रेल यात्रियो द्वारा हो रही है और 40 हज़ार करोड़ रुपये की मदद केंद्र सरकार आम बजट में रेलवे को दे रही है, जो नाकाफ़ी साबित हो रहे है l तुलनात्मक तौर पर भी देखा जाए तो भारतीय रेल विश्व की सबसे सस्ती यात्री रेल सेवा होने के साथ सस्ती माल वाहक सेवा भी है, अन्य देशो में इतने बड़े रेल नेटवर्क का होना और सस्ता होना दोनों एक साथ नहीं दिखाई देते l भारत सरकार वर्तमान में यात्री किराए में 28 प्रकार की छूट भी उपलब्ध करा रही है और यही सस्ती एवं सब्सिडी रहित रेलवे अपनी लागत का महज 57 प्रतिशत ही कमा पाती है l रेलवे यात्रियों को छूट दे रही है वह भी उसे सब्सिडी के तौर पर भारत सरकार से नहीं मिलते है, तो ऐसे में ये अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि भारत की इस जीवन रेखा पर संकट के बादल तो छाए ही हुए है l
              वर्तमान मोदी सरकार रेलवे को होने वाले नुकसान और घाटे से कितना बाहर निकाल पाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन जो ऐतिहासिक निर्णय सरकार ले रही है उससे यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि रेलवे की दशा और दिशा दोनों में कुछ बदलाब तो जरूर होगा l सरकार फिलहाल रेलवे के व्यय की स्वायत्तता और संसद में रेलवे के प्रस्तावो पर अलग से चर्चा की जा सके इसकी संसदीय जबाबदेही भी बनी रहे इसे सुनिश्चित करने के प्रयास कर रही है l केंद्र सरकार ने ये भी सुनिश्चित किया है कि रेलवे की अलग पहचान बनी रहेगी l रेल मंत्रालय, उसके अधिकारो पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा साथ ही महाप्रबंधकों, मण्डल रेल प्रबन्धको के वित्तीय अधिकार भी पूर्ववत रहेंगे l रेलवे की नीतियों और योजनाओं पर मंत्रालय का नियंत्रण यथावत रहने के साथ इस बात पर भी विचार किया जाएगा कि पूंजीगत व्यय बढ़ाने, निवेश और रेलवे के लिए संसाधन जुटाने के प्रयासो में  तेजी लाने के लिए सरकार अपनी कोशिशो में तेजी लाएगी l सरकार बजट के विलय में यह भी दावा कर रही है कि आने वाले समय में सड़क, वायु और जल परिवहन के साथ रेलवे के लिए भी सामूहिक योजनाएँ बनाएगी l रेलवे का विकास भौगोलिक एवं स्थानीय परिस्थितियो के आधार पर करेगी और रेलवे से होने वाली कमाई के लिए पृथक आधारभूत कोष भी बनाया जाएगा l नई परियोजनाओं को प्रारम्भ करने, रेलवे के विस्तार और नई रेल चलाने कि स्वायत्ता रेल मंत्रालय के पास बरकरार रहेगी परंतु किराए व माल भाड़े में होने वाला संशोधन अब रेल विकास प्राधिकरण करेगा l   
              केंद्र की मोदी सरकार के बजट के विलयिकरण के निर्णय से यह तो साबित हो गया है कि सरकार कड़े कदम उठाने में हिचक नहीं रही लेकिन अभी इस प्रक्रिया में ऐसे बहुत से सवाल है जिसके जवाब आना बाकी है मसलन वित्त और रेल दोनों मंत्रालयों के बीच बटवारे में  क्या प्रक्रिया अपनाई जाएगी ? रेल बजट की तैयारी में आम बजट की तरह ही प्रक्रिया अपनाई जाती रही है, आम बजट में  शामिल किए जाने से क्या रेलवे के प्रावधानों को तैयार करने में  यह प्रक्रिया होगी या नहीं ? यह भी देखना शेष रहेगा कि रेलवे के लागत और गैर लागत बजट के ब्योरे आम बजट में सम्मिलित किए जाते है या नहीं ?  रेलवे के खर्चो और मांग की अनुमति संसद द्वारा दी जाती रही है, इस बाबत सरकार क्या निर्णय लेगी ? रेल बजट का आम बजट में विलय होना कितना कारगर साबित होगा ? ऐसे तमाम सवाल है जिसका जवाब आने वाले समय में हमें  मिलेगा बहरहाल अब एक बात तो स्पष्ट हो चुकी है कि साल 2017 में पिछले 92 वर्षो से पृथक पेश किए जा रहे रेल बजट को समाप्त कर दिया जाएगा l
                                                                                        -सत्येंद्र खरे
(लेखक दूरदर्शन समाचार भोपाल में कार्यरत है )

भारतीय रेल का इतिहास
1.   लॉर्ड डलहौजी ने 1843 में भारतीय रेल नेटवर्क प्रारम्भ करने की अवधारणा रखी l
2.       भारत में पहली रेल की पटरी दो भारतीयों जगन्नाथ शंकरसेठ और जमशेदजी जीजीभाई ने बिछवाई थी  
3.       देश में पहली रेल का ट्राइल 22 दिसंबर 1851 को लिया गया
4.       भारत में पहली रेल बॉम्बे (अब मुंबई) और ठाणे (थाने) के बीच 16 अप्रैल 1853 को चली थी।
5.       14 बोगी की इस ट्रेन को 3 इंजन सुल्तान, सिंध और साहिखींच रहे थे
6.   15 अगस्त 1854 को हावड़ा से हुब्ली पहली पेसेंजर ट्रेन चलाई गई
7.   इसी दिन आम जनता के लिए रेल मार्ग औपचारिक तौर पर शुरू हुआ
8.   1890 में भारतीय रेल अधिनियम पारित हुआ
9.   1891 में पहली बार प्रथम श्रेणी के डिब्बो में शौचालय की व्यवस्था की गई
10. भारत में पहले रेल इंजन लेडी करजन 1899 में अजमेर में बनाया गया
11. 1907 में निचली श्रेणी के डिब्बो में शौचालय की व्यवस्था की गई
12. 1920 में एक्वोर्थ कमेटी ने सरकार को रेल प्रबंधन के लिए सुझाव देना शुरू किए
13. 1924 में रेल बजट अलग से बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया, 1925 में पृथक रेल बजट पेश हुआ
14. 1936 में एसी डिब्बो की व्यवस्था प्रारम्भ की गई
15. 26 जनवरी 1950 को चितरंजन लोको वर्क्स की स्थापना हुई
16. 1952 में रेलवे में 6 जोन के साथ ज़ोनल सिस्टम की शुरुआत l
17. 1967 में रेलवे में सेकंड क्लास के स्लीपर डिब्बो की व्यवस्था शुरू की गई 
18.   1972 में स्टीम इंजन बनाने का काम रेलवे ने बंद कर दिया
19.   1986 में भारतीय रेलवे ने कम्प्यूटराइज्ड रिजर्वेशन की शुरुआत नई दिल्ली से की ।
20. 1994 से रेल बजट टीवी पर प्रसारित किया जाने लगा
21.   दिसंबर 1999 में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को यूनेष्कों ने विश्व धरोहर घोषित किया
22.   भारतीय रेल का मैस्कॉट भोलू नाम का हाथी है, जो कि भारतीय रेल में बतौर गॉर्ड तैनात है।
23.   भारतीय रेल दुनिया का चौथा (अमेरिका, चीन और रूस के बाद) सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
24.   भारतीय रेल ट्रैक की कुल लंबाई 65,000 किलोमीटर से अधिक है।
25.   भारतीय रेलवे में लगभग 16 लाख लोग काम करते हैं।
26.   यह दुनिया का 9वां सबसे बड़ा एंप्लॉयर है। यह आंकड़ा कई देशों की आबादी से भी ज्यादा है।
27.   भारतीय रेल से रोज करीब 2.5 करोड़ लोग यात्रा करते हैं। यह संख्या ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के लगभग बराबर है।
28.   16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली मेतुपलयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन सबसे धीमी ट्रेन है।
29.   हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस के सबसे ज्यादा 115 स्टॉपेज हैं
30.   नई दिल्ली मेन स्टेशन में दुनिया की सबसे बड़ी रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम है। यह उपलब्धि गिनेस बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में दर्ज है।
31.   भारत में सबसे लंबे रेलवे स्टेशन का नाम वेंकटनरसिंहराजुवारिपटा है। वहीं सबसे छोटे नाम वाला रेलवे स्टेशन इब (Ib) है।
32.   भारत में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 7,500 रेलवे स्टेशन हैं।
33.   भारत की पहली रेलवे सुरंग पारसिक सुरंग है                                                
34.   भारत का पहला रेलवे पूल डैपूरी वायाडक्ट (मुंबई-ठाणे रूट पर) है                                                  
35.   भारत का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड मुग़ल सराय है                                                   
36.   भारत में पहली इलेक्ट्रिक रेल बॉम्बे वीटी से कुर्ला 3 फरवरी 1925 को चली                                                                         
37.   भारत का सबसे लम्बा रेलवे पूल नेहरू सेतु (100,44 फीट) सोन नदी पर बना है जो की
38.   भारत का सबसे व्यस्तम रेलवे स्टेशन लखनऊ है                                      
39.   भारत की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन दिल्ली- भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस है                                 
40.   भारत का सबसे पुराना चालू इंजन फेयरी क्वीन है                                       
41.   भारत की सबसे रेलवे सुरंग (6.5 किलोमीटर)कोंकण रेल लाइन पर कारबुडे है                                                  
42.   विश्व का सबसे लम्बा प्लेट्फॉर्म ख़ड़गपुर (2733 फीट) है                  
43.   भारत की सबसे लम्बी दूरी तय करने वाली ट्रेन कन्याकुमारी- डिब्रुगढ़ विवेक एक्सप्रेस 4273 किमी है                  
44.   भारत में पहली मेट्रो ट्रेन कलकत्ता अब कोलकाता में चली
45.   पहली राजधानी एक्सप्रेस 1969 नई दिल्ली से हावड़ा के बीच चलाई गयी                                          
46.   पहली शताब्दी एक्सपेस नई दिल्ली से झांसी चलाई गई                                
47.   शताब्दी ट्रेनों का सञ्चालन पंडित जवाहर लाल नेहरू के जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में शुरू हुआ       
48.   भारत में रेल चलने की सर्वप्रथम परिकल्पना मद्रास (वर्तमान चेन्नई )1832 में की गयी थी                                 
49.   जॉन मथाई ने सर्वप्रथम आज़ाद भारत का रेलवे बजट प्रस्तुत किया था                                        
50.   नवापुर देश में एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जो दो राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा में आता है.
51.   देश की सबसे बड़ी रेल सुरंग जम्मू-कश्मीर के पीर पंजल में बनाई जा रही हैं. जिसकी लम्बाई 11.215 किमी है.

      
भारतीय रेलवे मुख्यालय के स्थापना दिवस

1 उत्तर रेलवे (उरे) 14 अप्रैल 1952 दिल्ली
2 पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) 1952 गोरखपुर
3 पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) 1958 गुवाहाटी
4 पूर्व रेलवे (पूरे) अप्रैल 1952 कोलकाता
5 दक्षिण-पूर्व रेलवे (दपूरे) 1955 कोलकाता
6 दक्षिण-मध्य रेलवे (दमरे)2 अक्टूबर 1966 सिकंदराबाद
7 दक्षिण रेलवे (दरे) 14 अप्रैल 1951 चेन्नई
8 मध्य रेलवे (मरे) 5 नवंबर 1951 मुंबई
9 पश्चिम रेलवे (परे) 5 नवंबर 1951 मुंबई
10 दक्षिण-पश्चिम रेलवे (दपरे) 1 अप्रैल 2001 हुबली
11 उत्तर-पश्चिम रेलवे (उपरे) 1 अक्टूबर 2002 जयपुर
12 पश्चिम-मध्य रेलवे (पमरे) 1 अप्रैल 2003 जबलपुर
13 उत्तर-मध्य रेलवे (उमरे) 1 अप्रैल 2003 इलाहाबाद
14 दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे (दपूमरे) 1 अप्रैल 2003 बिलासपुर
15 पूर्व तटीय रेलवे (पूतरे) 1 अप्रैल 2003 भुवनेश्वर
16 पूर्व-मध्य रेलवे (पूमरे) 1 अक्टूबर 2002 हाजीपुर
17 कोंकण रेलवे (केआर) 26 जनवरी 1998 नवी मुंबई

प्रमुख रेल संग्रहालय के स्थापना दिवस

1 1 फरवरी 1977  नई दिल्ली
2 2 जून1979     मैसूर
3 31 मार्च 2002  चेन्नई
4 14 दिसंबर 2002  नागपुर